2 अरब के जीएसटी घोटाले में लीपापोती में जूता वाणिज्य कर विभाग घोटाले की राशि कम बताने पर सीए ने की शिकायत

  • 1900 करोड़ के जीएसटी घोटाले की लीपापोती में जुटा वाणिज्यकर विभाग


लगभग दो अरब रुपए के जीएसटी घोटाले के मामले में वाणिज्यिक कर विभाग अपनी पीठ थपथपाने के बाद अब पूरे मामले में लीपापोती करने में लग गया है। इस मामले को लेकर अब केंद्रीय वित्त मंत्री और मुख्यमंत्री से एक सीए ने शिकायत की है। शिकायत में कहा गया है कि घोटाले में जीएसटी चोरी का आंकड़ा ही 1890 करोड़ रुपए के करीब है। आरोपियों को लाभ देने के लिए विभाग आंकड़े को 50 करोड़ रुपए बताकर मामले की फाइल बंद करने की तैयारी कर रहा है।



खास बात यह है कि इस मामले में आयकर, पीएफ में हुए घोटाले की तो जांच ही नहीं की जा रही है। गौरतलब है कि इस साल जुलाई-अगस्त में वाणिज्यिक कर विभाग की टीमों ने इंदौर में जीएसटी का बड़ा घोटाला पकड़ा था। घोटाले में फर्जी फर्में बनाकर बोगस बिलों के जरिए हजारों करोड़ का व्यापार बताने और फिर इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल कर कर चोरी करने का खुलासा हुआ था। घोटाले के खुलासे के बाद एक कर सलाहकार ने इमारत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद मामले में कुछ और नाम भी जुड़े लेकिन धीरे-धीरे जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। खास बात यह है कि इस पूरे घोटाले में एक भी व्यक्ति की न तो गिरफ्तारी हुई, न ही विभाग ने कर चोरी का आंकड़ा सार्वजनिक किया। सूत्रों के अनुसार विभाग जल्द ही इस घोटाले को लेकर चालान पेश करने की तैयारी कर रहा है। घोटाले को लेकर सबसे पहले पुलिस में शिकायत करने वाले सीए रवि गोयल ने मामले में मुख्यमंत्री और केंद्रीय वाणिज्य व वित्त मंत्री को हाल ही में लिखित शिकायत भेजी है। घोटाले में शामिल फर्जी फर्मों, बिलों व आरोपितों के बयान व रिकॉर्ड के साथ सौ से ज्यादा पन्नों की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि इस पूरे मामले में जीएसटी की चोरी का आंकड़ा 1890 करोड़ रुपए है। इसमें आयकर की हेराफारी जोड़ी जाए तो घोटाला 5880 करोड़ रुपए तक पहुंच जाता है। शिकायत में कहा गया है कि विभाग की जांच में सिर्फ 400 करोड़ का फर्जी लेनदेन बताकर टैक्स को 50 करोड़ तक समेटा जा रहा है। घोटाले में आरोपित बने व्यापारियों के बयान भी विभाग ने दर्ज नहीं किए। साथ ही नेटवर्क की जांच करने से भी विभाग बच रहा है। राज्य और केंद्र से घोटालों को लेकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है।

प्रैक्टिस सर्टिफिकेट जारी करवाया

मामले में शिकायत करने वाले सीए रवि गोयल ने वर्षों पहले चार्टड अकाउंटेंट की प्रैक्टिस छोडक़र आईसीएआई का सर्टिफिकेट सरेंडर कर दिया था। घोटाले के खुलासे के पहले एक बोगस फर्म और लोन धोखाधड़ी की शिकायत करने वालों में गोयल का नाम शामिल था। घोटाले के सामने आने के बाद गोयल ने इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट से अपना सर्टिफिकेट बहाल करवा लिया। इसके बाद उन्होंने मामले में दस्तावेजों के साथ मुख्यमंत्री और केंद्र से शिकायत की है।